प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी,
मेरे हालात की आँधी में बिखर जाओगी..
रंज़ और दर्द की बस्ती का मैं बाशिंदा हू,
ये तो बस मैं हू के इस हाल में भी ज़िंदा हू..
ख्वाब क्यों देखूं वो कल जिस पे मैं शर्मिंदा हू,
मैं जो शर्मिंदा हुआ तुम भी तो शरमाओगी..
क्यों मेरे साथ कोई और परेशान रहे,
मेरी दुनिया है जो वीरान तो वीरान रहे..
ज़िंदगी का ये सफ़र तुमको तो आसान रहे,
हमसफ़र मुझको बनाओगी तो पच्छताओगी..
एक मैं क्या अभी आयेंगे दीवाने कितने,
अभी गूंजेगे मुहब्बत के तराने कितने..
ज़िंदगी तुमको सुनाएगी फसाने कितने,
क्यों समझती हो मुझे भूल नहीं पाओगी..
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Pyaar mujhse jo kiya tumne to kya paaogi,
Mere haalaat ki aandhi mein bikhar jaaogi..
Ranz aur dard ki basti ka main baashindaa hu,
Ye to bas main hu ke is haal mein bhi zinda hu..
Khwaab kyon dekhun wo kal jis pe main sharminda hu,
Main jo sharminda hua tum bhi to sharamaaogi..
Kyon mere saath koi aur pareshaan rahe,
Meri duniya hai jo veeraan to veeraan rahe..
Zindagi ka ye safar tumko to aasaan rahe,
Hamsafar mujhko banaaogi to pachhataaogi..
Ek main kya abhi aayeinge deevaane kitane,
Abhi goonjeige muhabbat ke taraane kitane..
Zindagi tumko sunaayegi fasaane kitane,
Kyon samajhati ho mujhe bhool nahin paaogi..
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ग़ज़ल, नज़म, शेर और शायरी सब कुछ ही तो है... लिखने वाले भी क्या क्या रंग बिखेर देते है.. यहाँ मेरा लिखा कुछ भी नहीं, मैं सिर्फ़ अपनी पसंद को एक जगह देना चाहती हूँ, बस इसीलिए यह अनमोल सौगातें बटोर रही हूँ!!
Saturday, May 9, 2009
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क्यों ज़िंदगी की राह में मज़बूर हो गये, इतने हुए करीब की हम दूर हो गये.. ऐसा नहीं की हमको कोई भी खुशी नहीं, लेकिन ये ज़िंदगी तो कोई ज़िंदगी ...
ये मेरी पसंदीदा गजल है। जब भी सुनता या पढता हूं, मन रोमांचित हो उठता है। शुक्रिया।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Ji, meri bhi pasandida gazal hai..
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