बिछड़ के मुझ से कभी तू ने ये भी सोचा है
अधूरा चाँद भी कितना उदास लगता है
ये वस्ल का लम्हा है इसे राएँगा ना समझ
के इस के बाद वही दूरियों का सेहरा है
कुछ और देर ना झड़ता उदासियों का शजर
किसे खबर तेरे साए में कौन बैठा है
ये रख-रखाव मुहब्बत सीखा गई उस को
वो रूठ कर भी मुझे मुस्कुरा के मिलता है
मैं किस तरह तुझे देखूं नज़र झिझकती है
तेरा बदन है के ये आईनो का दरिया है
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BichhaD ke mujh se kabhi tu ne ye bhi socha hai
Adhoora chaaNd bhi kitana udaas lagta hai
Ye vasl ka lamha hai ise raayegaaN na samajh
Ke is ke baad vahi dooriyon ka sehra hai
Kuch aur der na jhaDtaa udaasiyon ka shajar
Kise Khabar tere saaye mein kaun baiThaa hai
Ye rakh-rakhaao muhabbat sikha gai us ko
Wo rooTh kar bhi mujhe muskura ke milta hai
Main kis tarah tujhe dekhuN nazar jhijhakti hai
Tera badan hai ke ye aaiino ka dariya hai
[vasl = union; lamhaa = moment; raayegaa.N = useless/futile]
[saharaa = desert; shajar = tree]
[rakh-rakhaao = formality/to maintain a facade]
[jhijhakanaa = to hesitate/show reluctance]
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ग़ज़ल, नज़म, शेर और शायरी सब कुछ ही तो है... लिखने वाले भी क्या क्या रंग बिखेर देते है.. यहाँ मेरा लिखा कुछ भी नहीं, मैं सिर्फ़ अपनी पसंद को एक जगह देना चाहती हूँ, बस इसीलिए यह अनमोल सौगातें बटोर रही हूँ!!
Thursday, May 14, 2009
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wahhh yaar tussi to kamal likhte ho...??? but i like most becoz its matched with my personality.....ये रख-रखाव मुहब्बत सीखा गई उस को
ReplyDeleteवो रूठ कर भी मुझे मुस्कुरा के मिलता है
.....anyways blog par aane ka shukriya waise blog kaissa laga ...i hope aapke se sundar tto nahi hai...aapke sare blog bahut sundar hai....mujhe bhi kuch tips dena how to make my blog attractive.....
Jai Ho mangalmay ho
आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।मेरा नया ब्लाग जो बनारस के रचनाकारों पर आधारित है,जरूर देंखे...www.kaviaurkavita.blogspot.com
ReplyDeleteaapki is gazal ne mujhe bahut prabhvit kiya hai ..aap bahut accha likhti hai ..
ReplyDeleteaakhri sher to bus ultimate hai ..
meri dil se badhai sweekar karen.
pls read my poems : http://poemsofvijay.blogspot.com
Regards,
Vijay