क्यों ज़िंदगी की राह में मज़बूर हो गये,
इतने हुए करीब की हम दूर हो गये..
ऐसा नहीं की हमको कोई भी खुशी नहीं,
लेकिन ये ज़िंदगी तो कोई ज़िंदगी नहीं..
क्यों इसके फ़ैसले हमें मंज़ूर हो गये..
इतने हुए करीब की हम दूर हो गये..
पाया तुम्हे तो हमको लगा तुमको खो दिया,
हम दिल पे रोए और ये दिल हम पे रो दिया..
पलकों से ख्वाब क्यों गिरे क्यों चूर हो गये..
इतने हुए करीब की हम दूर हो गये..
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Kyon Zindagi ki raah mein mazboor ho gaye,
Itne hue kareeb ki ham Door ho gaye..
Aisa nahin ki hamko koi bhi khushi nahin,
Lekin Ye zindagi to koi zindagi nahin..
Kyon iske faisale hamein Manzoor ho gaye..
Itne hue kareeb ki ham Door ho gaye..
Paaya tumhe to hamko laga tumko kho diya,
Ham dil pe roye aur ye Dil ham pe ro diya..
Palakon se khwaab kyon gire Kyon choor ho gaye..
Itne hue kareeb ki ham Door ho gaye..
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ग़ज़ल, नज़म, शेर और शायरी सब कुछ ही तो है... लिखने वाले भी क्या क्या रंग बिखेर देते है.. यहाँ मेरा लिखा कुछ भी नहीं, मैं सिर्फ़ अपनी पसंद को एक जगह देना चाहती हूँ, बस इसीलिए यह अनमोल सौगातें बटोर रही हूँ!!
Friday, May 8, 2009
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